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Wednesday, January 25, 2012

Dunia

काग़ज़ पे लिखी हसीन बातों के
असल ज़िंदगी मे मायने कहाँ है
अब नही चाहिए ये किताबो की दुनिया

यारो ने चाहा तो बहुत हमे
पर उन्हे भी साथ चलना कहाँ है
अब नही चाहिए ये यारो की दुनिया

खवैशें अधूरी है कुछ अभी
पर इन्हे पूरा होना कहाँ है
अब नही चाहिए ये खवाबों की दुनिया

रिश्ते नाते तो बहुत सारे हैं
पर रिश्तो मे अपनापन कहाँ है
अब नही चाहिए ये रिश्तो की दुनिया

यूँ तो जिंदगी बहुत लंबी है
पर हर पल हमने जिया कहाँ है
अब नही चाहिए ये  लमहातो की दुनिया

मेरे चारो तरफ तो भीड़ ही भीड़ है
पर किसी को मुझसे वास्ता कहाँ है
अब नही चाहिए ये दुनियावालो की दुनिया.

औरो के खातिर कोशिश तो बहुत की
पर अब और हिम्मत कहाँ हैं
बस अब नही चाहिए ये दुनिया