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Monday, March 19, 2012

samjhne laga hai wo

कुछ खोया खोया सा रहता है 
किसी ख्याल में रहने लगा है वो

चुप चुप रहा करता था हमेशा 
कितनी बातें कहने लगा है वो

दोस्ती के किस्से सुनाता था जो
आजकल यारो से बचने लगा है वो

जिंदगी से लड़ता था जो कभी
वक़्त के साथ बहने लगा है वो 

हर बात समेट ली है खुद में
दर्द अकेले सहने लगा है वो 

शिकवा नहीं है किसी से,बस अपने 
किस्मत से सवाल करने लगा है वो 

 कल नाकाम सी हसी थी लबो पर
शायद थोडा संभलने लगा है वो
  
जनता था जिंदगी के वसूलो को 
अब और बेहतर समझने लगा है वो