कुछ खोया खोया सा रहता है
किसी ख्याल में रहने लगा है वो
चुप चुप रहा करता था हमेशा
कितनी बातें कहने लगा है वो
दोस्ती के किस्से सुनाता था जो
आजकल यारो से बचने लगा है वो
जिंदगी से लड़ता था जो कभी
वक़्त के साथ बहने लगा है वो
हर बात समेट ली है खुद में
दर्द अकेले सहने लगा है वो
शिकवा नहीं है किसी से,बस अपने
किस्मत से सवाल करने लगा है वो
कल नाकाम सी हसी थी लबो पर
शायद थोडा संभलने लगा है वो
जनता था जिंदगी के वसूलो को
अब और बेहतर समझने लगा है वो